रोहतक, 5 अगस्त 2025: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हरियाणा सरकार ने उन्हें 40 दिन की पैरोल दी है जिसके बाद वे मंगलवार सुबह रोहतक की सुनारिया जेल से सिरसा स्थित अपने डेरे के लिए रवाना हो गए। यह 2017 में सजा मिलने के बाद उनकी 14वीं रिहाई है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर बार-बार उन्हें पैरोल क्यों मिल रही है? आइए इस खबर को करीब से समझते हैं।
जन्मदिन और रक्षाबंधन का कनेक्शन
इस बार पैरोल की टाइमिंग खास है। 15 अगस्त को गुरमीत राम रहीम का 58वां जन्मदिन है और रक्षाबंधन का त्योहार भी नजदीक है। डेरे में इस दौरान बड़े आयोजन होने की उम्मीद है जिसमें लाखों अनुयायी पौधरोपण जैसे सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेंगे। सूत्रों के मुताबिक राम रहीम ने इन आयोजनों के लिए पैरोल की अर्जी दी थी। लेकिन क्या ये सिर्फ धार्मिक और सामाजिक कारणों की वजह से है या इसके पीछे कुछ और भी है?
राजनीतिक विवादों का पुराना इतिहास
राम रहीम की पैरोल अक्सर चुनावों या बड़े आयोजनों के समय मिलती रही है। 2024 में हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले और 2025 में दिल्ली चुनावों के दौरान भी उन्हें रिहाई मिली थी। विपक्षी दल और सामाजिक संगठन इसे राजनीतिक प्रभाव का नतीजा बताते हैं। उनका कहना है कि डेरा सच्चा सौदा के लाखों अनुयायी वोटरों को प्रभावित कर सकते हैं जिसका फायदा सत्ताधारी दल उठाते हैं। हालांकि हरियाणा सरकार का कहना है कि पैरोल नियमों के तहत दी गई है।
क्या कहता है कानून?
गुरमीत राम रहीम को 2017 में दो साध्वियों के यौन शोषण और 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के मामले में सजा हुई थी। जेल नियमों के मुताबिक, अच्छे आचरण और खास परिस्थितियों में कैदियों को पैरोल दी जा सकती है। लेकिन राम रहीम को 2020 से अब तक 14 बार पैरोल या फरलो पर कुल 326 दिन जेल से बाहर रहने का मौका मिला है जो आम कैदियों के लिए असामान्य है।
लोगों की नजर में क्या?
राम रहीम की बार-बार रिहाई पर सोशल मीडिया और जनता के बीच बहस छिड़ी है। कई लोग इसे कानून की निष्पक्षता पर सवाल उठाने का मौका मानते हैं जबकि उनके समर्थक इसे सुधार और समाज सेवा का अवसर बताते हैं। इस पैरोल के दौरान उनकी गतिविधियों पर प्रशासन की कड़ी नजर रहेगी।
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