8th Pay Commission: फिटमेंट फैक्टर 2.15 हुआ तो सैलरी दोगुनी से ज्यादा? जानिए पूरा गणित

8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज हैं। अगर फिटमेंट फैक्टर 2.15 तय होता है तो कर्मचारियों और पेंशनर्स की बेसिक सैलरी, भत्तों और पेंशन में बड़ा उछाल आ सकता है। हालांकि लागू होने में वक्त लग सकता है। जानिए कैसे?

  • 8वें वेतन आयोग को लेकर सरकारी कर्मचारियों में नई उम्मीद
  • फिटमेंट फैक्टर 2.15 हुआ तो सैलरी स्ट्रक्चर पूरी तरह बदलेगा
  • 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना, एरियर मिलेगा
  • पेंशन और भत्तों पर भी पड़ेगा सीधा असर

8th Pay Commission: केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स की नजरें इस समय 8वें केंद्रीय वेतन आयोग पर टिकी हैं। वजह साफ है क्योंकि नई सिफारिशें सिर्फ सैलरी नहीं बढ़ाएंगी बल्कि पूरी मासिक आय और रिटायरमेंट प्लानिंग को नया आकार देंगी। जैसे-जैसे 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल अपने आखिरी दौर में पहुंच रहा है वैसे-वैसे चर्चाएं तेज हो गई हैं कि अगला वेतन ढांचा कितना असरदार होगा।

सरकारी गलियारों में यह भी चर्चा है कि अगर सब कुछ तय टाइमलाइन के हिसाब से चला तो 1 जनवरी 2026 से नया वेतन लागू हो सकता है। हालांकि यह रास्ता इतना सीधा भी नहीं है। आइये जानते है की इसकी मंजूरी में कितना वक्त लगेगा और फिटमेंट फैक्टर पर क्यों टिका है पूरा मामला।

रिपोर्ट मंजूरी में क्यों लग सकता है वक्त

7वें वेतन आयोग की मियाद 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रही है लेकिन जानकार मानते हैं कि 8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट को अंतिम मंजूरी मिलने में वक्त लग सकता है। आमतौर पर आयोग की सिफारिशों को लागू करने में डेढ़ से दो साल तक का समय देखा गया है।

इसका मतलब यह हुआ कि कर्मचारियों को बढ़ी हुई सैलरी तुरंत भले न मिले लेकिन जिस तारीख से आयोग लागू माना जाएगा उस तारीख से एरियर मिलने की संभावना मजबूत रहेगी। यही पहलू कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों के लिए अहम माना जा रहा है।

फिटमेंट फैक्टर, जिस पर टिकी है पूरी कहानी

वेतन आयोग की सबसे अहम कड़ी होती है फिटमेंट फैक्टर। यही वह आंकड़ा होता है जिससे मौजूदा बेसिक सैलरी को गुणा कर नई बेसिक तय की जाती है। चर्चा है कि 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.15 तक जा सकता है।

वित्तीय मामलों के जानकर प्रोफेसर एच ए अंसारी के मुताबिक फिटमेंट फैक्टर तय करते वक्त सिर्फ एक पैमाना नहीं देखा जाता। महंगाई दर, जीवन-यापन की लागत, CPI इंडेक्स, सरकार की वित्तीय स्थिति और निजी क्षेत्र के वेतन ढांचे से तुलना, ये सभी फैक्टर इसमें भूमिका निभाते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो यह तय किया जाता है कि कर्मचारी की जेब पर असली असर कितना पड़ेगा।

सैलरी में कितना बड़ा उछाल संभव

अगर 2.15 का फिटमेंट फैक्टर लागू होता है, तो इसका असर सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहेगा। उदाहरण के तौर पर जिन कर्मचारियों की मौजूदा बेसिक सैलरी ₹18,000 है उनकी नई बेसिक ₹38,700 के आसपास पहुंच सकती है। वहीं ₹50,000 बेसिक पाने वालों के लिए यह आंकड़ा ₹1 लाख के पार जाता दिख सकता है।

खास बात यह है कि बेसिक सैलरी बढ़ने का मतलब सिर्फ इन-हैंड सैलरी में बढ़ोतरी नहीं है। डीए, एचआरए, टीए और पेंशन जैसी सुविधाएं भी उसी अनुपात में ऊपर जाती हैं जिससे कुल आय में बड़ा फर्क पड़ता है।

अलग-अलग लेवल पर क्या बदलेगा गणित

लेवल-1 के कर्मचारियों के लिए जहां ₹18,000 से ₹38,700 तक पहुंचने की संभावना बनती है वहीं लेवल-6 में ₹35,400 की बेसिक बढ़कर ₹76,000 से ज्यादा हो सकती है। लेवल-10 के अफसरों के लिए यह आंकड़ा ₹56,100 से बढ़कर करीब ₹1.20 लाख तक जा सकता है।

सीनियर अधिकारियों के मामले में असर और बड़ा दिखता है। लेवल-15 पर मौजूदा ₹1.82 लाख की बेसिक ₹3.90 लाख के आसपास पहुंच सकती है जबकि लेवल-18 में यह ₹2.50 लाख से बढ़कर ₹5.37 लाख तक जाने की संभावना जताई जा रही है।

पेंशनर्स के लिए भी राहत की उम्मीद

यह बदलाव सिर्फ कार्यरत कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा। चूंकि पेंशन भी बेसिक सैलरी से जुड़ी होती है इसलिए नया फिटमेंट फैक्टर लागू होने पर पेंशनर्स की मासिक पेंशन और डीआर में भी सीधा फायदा देखने को मिल सकता है। यही वजह है कि रिटायर कर्मचारी भी इस वेतन आयोग को उतनी ही गंभीरता से देख रहे हैं।

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