Haryana Politics: सैनी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, शीतकालीन सत्र के पहले दिन गरमाया सदन

हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सियासी टकराव से हुई। कांग्रेस ने नायब सैनी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे स्पीकर ने स्वीकार कर लिया। प्रस्ताव पर शुक्रवार को सदन में चर्चा होगी।

Haryana Politics: हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र की शुरुआत पहले ही दिन सियासी हलचल के साथ हुई। नायब सिंह सैनी सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया, जिसे विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया। स्पीकर ने प्रस्ताव को सदन की कार्यसूची में शामिल करते हुए इस पर चर्चा के लिए शुक्रवार का दिन तय कर दिया है।

सत्र के पहले दिन ही विपक्ष का यह आक्रामक कदम बताता है कि आने वाले दिन सदन में सहज नहीं रहने वाले। कांग्रेस का दावा है कि सरकार की नीतियों और कार्यशैली को लेकर उसके पास गंभीर सवाल हैं जिन्हें अब सीधे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी नहीं, बल्कि सरकार की जवाबदेही तय करने की कोशिश है।

शीतकालीन सत्र आज शुरू होकर 22 दिसंबर तक चलेगा। इसी दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने होंगे। सदन में शुक्रवार को होने वाली चर्चा को लेकर दोनों खेमों ने अपनी-अपनी रणनीति तैयार कर ली है।

विपक्ष का तर्क है कि सरकार ने कई अहम मुद्दों पर जनता की अपेक्षाओं को नजरअंदाज किया है। इन्हीं बिंदुओं को आधार बनाकर कांग्रेस ने प्रस्ताव रखा है। इससे पहले भी विपक्ष सरकार की आलोचना करता रहा है, लेकिन यह पहला मौका है जब उसे औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव के जरिए चुनौती दी गई है।

प्रस्ताव स्वीकार होते ही प्रदेश की राजनीति में तनाव साफ नजर आने लगा है। शुक्रवार को होने वाली बहस सिर्फ औपचारिक प्रक्रिया नहीं होगी, बल्कि यह सरकार की राजनीतिक मजबूती का खुला इम्तिहान मानी जा रही है। चर्चा के दौरान दोनों पक्ष अपने-अपने तर्कों के साथ मैदान में उतरेंगे।

अविश्वास प्रस्ताव के बाद सदन में बहुमत साबित करना मौजूदा सरकार की जिम्मेदारी होगी। मतदान के नतीजे यह तय करेंगे कि विधानसभा में सैनी सरकार को कितना समर्थन हासिल है। राजनीतिक जानकार इसे सरकार और विपक्ष, दोनों के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ा मुकाबला मान रहे हैं।

सरकार की ओर से इस प्रस्ताव को राजनीतिक रणनीति करार दिया गया है। सत्ता पक्ष का कहना है कि वह सदन में पूरी तैयारी के साथ जवाब देगा और बहुमत को लेकर उसे कोई संदेह नहीं है।

पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो साल 2024 में हुए चुनावों में बीजेपी ने 90 में से 48 सीटें जीतकर तीसरी बार सत्ता हासिल की थी। कांग्रेस को 37 सीटें मिली थीं, जबकि इंडियन नेशनल लोकदल ने 2 और तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे थे। इन्हीं आंकड़ों के बीच अब शुक्रवार का दिन हरियाणा की राजनीति के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।

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