मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा सन्स को शेयर बाजार में लिस्टिंग की अनिवार्यता से राहत देने की तैयारी में है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि कंपनी को अनलिस्टेड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में जारी रखने की मंजूरी मिल सकती है. यह छूट 30 सितंबर 2025 की समयसीमा से पहले दी जा सकती है. लेकिन, इस मामले में टाटा सन्स के दूसरे बड़े शेयरधारक शापूरजी पालोनजी (SP) ग्रुप का रुख अहम रहेगा.
टाटा सन्स ने पूरी की RBI की शर्तें
टाटा सन्स ने RBI की सभी शर्तों को पूरा कर लिया है. कंपनी ने अपना 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज कम किया और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) लाइसेंस भी सरेंडर कर दिया. इसके अलावा, टाटा सन्स ने वादा किया है कि वह ग्रुप की अन्य कंपनियों के लिए नया कर्ज नहीं लेगी और न ही कोई गारंटी देगी. इन कदमों के बाद RBI टाटा सन्स को NBFC-CIC (कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी) की श्रेणी से हटा सकता है, जिससे लिस्टिंग की जरूरत खत्म हो सकती है.
SP ग्रुप और टाटा ट्रस्ट में मतभेद
टाटा सन्स में दो प्रमुख शेयरधारक हैं:
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टाटा ट्रस्ट: 65.9% हिस्सेदारी के साथ, यह कंपनी को अनलिस्टेड रखना चाहता है.
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SP ग्रुप: 18.4% हिस्सेदारी के साथ, यह लिस्टिंग के पक्ष में है ताकि उनकी हिस्सेदारी को नकदी में बदला जा सके. SP ग्रुप की हिस्सेदारी कर्जदाताओं के पास गिरवी है.
बाकी शेयर टाटा ग्रुप की कुछ कंपनियों और टाटा परिवार के सदस्यों के पास हैं.
SP ग्रुप की हिस्सेदारी का क्या होगा?
टाटा सन्स ने SP ग्रुप को लिस्टिंग के बिना उनकी हिस्सेदारी को नकदी में बदलने के लिए एक मोनेटाइजेशन योजना पेश की है. दोनों पक्षों के बीच इस पर बातचीत चल रही है, लेकिन SP ग्रुप ने अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है. RBI चाहता है कि दोनों शेयरधारक इस मुद्दे पर एकसाथ सहमति बनाएं.
RBI का रुख और भविष्य
RBI ने पहले टाटा सन्स को NBFC-CIC के रूप में वर्गीकृत किया था, जिसके तहत उसे सितंबर 2025 तक शेयर बाजार में लिस्ट होना जरूरी था. लेकिन अब कंपनी के कर्ज कम करने और शर्तों के पालन के बाद RBI इसे इस श्रेणी से हटा सकता है. इस पर अंतिम फैसला दिसंबर 2025 या मार्च 2026 तक आने की उम्मीद है.
पहले क्या हुआ?
इस साल की शुरुआत में टाटा ट्रस्ट ने टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन से कंपनी को अनलिस्टेड रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का अनुरोध किया था. साथ ही, SP ग्रुप की हिस्सेदारी को नकदी में बदलने के लिए बातचीत शुरू की गई थी.
अब सबकी नजरें SP ग्रुप के अगले कदम पर टिकी हैं. क्या वे टाटा सन्स की योजना को स्वीकार करेंगे या लिस्टिंग पर अड़े रहेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा.
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