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डॉलर के सामने क्यों लड़खड़ा रहा है रुपया? RBI क्या करेगा, जानें ताजा अपडेट
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि 90 रुपये प्रति डॉलर एक महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक स्तर है. अगर रुपया इस स्तर को पार करता है तो यह आम लोगों और अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकता है. आयात महंगा होने से पेट्रोल, डीजल और रोजमर्रा की चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
भारतीय रुपया इन दिनों डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है. बाजार विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले समय में एक डॉलर की कीमत 90 रुपये तक पहुंच सकती है. इस गिरावट की वजह से आम लोगों से लेकर कारोबारियों तक की चिंता बढ़ गई है. आखिर क्यों हो रही है यह गिरावट और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस पर क्या कदम उठा सकता है? आइए जानते हैं.

रुपये की गिरावट के पीछे क्या है वजह?
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अमेरिकी टैरिफ: अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाया है, जिससे भारतीय सामान की प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ा है.
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विदेशी निवेश की निकासी: शेयर बाजारों से विदेशी निवेशकों का पैसा निकल रहा है, जिससे डॉलर की मांग बढ़ी है.
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तेल की मांग और युआन की गतिशीलता: महीने के अंत में तेल की मांग और रुपये-युआन के बीच बदलते समीकरण भी रुपये पर दबाव डाल रहे हैं.
क्या है 90 रुपये का मनोवैज्ञानिक स्तर?
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि 90 रुपये प्रति डॉलर एक महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक स्तर है. अगर रुपया इस स्तर को पार करता है तो यह आम लोगों और अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकता है. आयात महंगा होने से पेट्रोल, डीजल और रोजमर्रा की चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं. हालांकि निर्यातकों के लिए यह फायदेमंद हो सकता है क्योंकि कमजोर रुपया उनके सामान को विदेशों में सस्ता बनाता है.
RBI क्या करेगा?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये की गिरावट को रोकने के लिए सक्रिय है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि RBI स्पॉट मार्केट में दखल देकर रुपये को स्थिर करने की कोशिश कर सकता है. हालांकि कुछ का यह भी कहना है कि RBI रुपये को एक खास स्तर पर रोकने के बजाय बाजार की ताकतों को काम करने दे सकता है. इससे रुपये की कमजोरी निर्यातकों को फायदा पहुंचा सकती है जो टैरिफ के दबाव को कम करेगा.
आगे क्या होगा?
रुपये का भविष्य कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे:
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अमेरिका में ब्याज दरों की दिशा.
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विदेशी निवेश का प्रवाह.
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टैरिफ को लेकर भारत-अमेरिका के बीच बातचीत.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और हाल की जीडीपी वृद्धि रुपये को कुछ सहारा दे सकती है. लेकिन वैश्विक अनिश्चितता और टैरिफ का असर रुपये पर दबाव बनाए रख सकता है.
आम लोगों पर क्या असर?
रुपये की कमजोरी का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ सकता है. आयातित सामान जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, तेल और अन्य जरूरी चीजें महंगी हो सकती हैं. इससे महंगाई बढ़ने का खतरा है. वहीं अगर आप विदेश यात्रा या पढ़ाई की योजना बना रहे हैं तो उसका खर्च भी बढ़ेगा.
रुपये की गिरावट और RBI के कदमों पर सभी की नजरें टिकी हैं. क्या रुपया 90 के स्तर को छूएगा या RBI इसे पहले ही संभाल लेगा? यह आने वाला समय ही बताएगा. फिलहाल बाजार की नजर 5 सितंबर को आने वाले अमेरिकी नॉन-फार्म पेरोल डेटा पर है जो रुपये की दिशा को और प्रभावित कर सकता है.
लेखक के बारे में

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