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ट्रम्प को फिर लगेगी मिर्ची, भारत में GST Collection में 6.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, घरेलू राजस्व (Domestic Revenue) में 9.6 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 1.37 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. वहीं, आयात कर (Import Tax) में 1.2 फीसदी की कमी देखी गई, जो 49,354 करोड़ रुपये रहा.
भारत की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने वाली खबर सामने आई है. अगस्त 2025 में जीएसटी संग्रह (GST Collection) में 6.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो 1.86 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. यह आंकड़ा पिछले साल अगस्त के 1.75 लाख करोड़ रुपये से काफी अधिक है. हालांकि, जुलाई 2025 के 1.96 लाख करोड़ रुपये की तुलना में इसमें 4.8 फीसदी की मामूली कमी आई है. यह मजबूत संग्रह भारत की आर्थिक स्थिरता को दर्शाता है, खासकर तब जब अमेरिका के 50 फीसदी आयात शुल्क (US Import Tariffs) जैसे वैश्विक दबावों का सामना करना पड़ रहा है.
जीएसटी सुधारों की नई दिशा

तीन और चार सितंबर को जीएसटी परिषद (GST Council) की बैठक होने वाली है, जिसमें कर दरों को सरल बनाने (Rate Rationalization) और स्लैब की संख्या कम करने पर चर्चा होगी. केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को घटाकर दो स्लैब (5% और 18%) किया जाए. इसके अलावा, विलासिता और हानिकारक उत्पादों (Luxury and Sin Goods) पर 40 फीसदी की विशेष दर लागू करने की योजना है. यह कदम रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं (Essential Goods) को सस्ता करने और उपभोक्ता खर्च को बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है.
राजस्व और राज्यों की चिंता
प्रस्तावित जीएसटी सुधार (GST Reforms) से आम लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़े और दवाइयां सस्ती हो सकती हैं. छोटी कारों (Small Cars) और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे टीवी, फ्रिज और वॉशिंग मशीन पर कर 28% से घटकर 18% हो सकता है. इसके साथ ही, प्री-फिल्ड जीएसटी रिटर्न (Pre-filled GST Returns) और स्वचालित रिफंड (Automated Refunds) जैसी सुविधाएं व्यवसायों के लिए अनुपालन को आसान बनाएंगी. इससे छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को भी फायदा होगा.
हालांकि, कुछ राज्य जीएसटी दरों में कटौती से राजस्व हानि (Revenue Loss) की आशंका जता रहे हैं. थिंक चेंज फोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर दरों को 18 फीसदी तक सीमित रखने से गैर-कानूनी बाजारों पर अंकुश लगेगा और कर प्रणाली पारदर्शी होगी. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि उपकरों (Compensation Cess) के लिए स्पष्ट नियमावली बनाई जाए, ताकि राज्यों को नुकसान न हो. यह सुधार भारत को विकसित अर्थव्यवस्था (Developed Economy) बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है.
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