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समंदर में भारत की ताकत बढ़ेगी: 1 लाख करोड़ की पनडुब्बी डील जल्द होगी फाइनल
भारत का लक्ष्य अपनी नौसेना को और ताकतवर बनाना है इन पनडुब्बियों के शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. इनमे स्कॉर्पीन डील की बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है जबकि स्टील्थ पनडुब्बी प्रोजेक्ट की लागत पर अभी चर्चा चल रही है.

भारत अपनी नौसैनिक ताकत को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है. अगले साल तक दो बड़ी पनडुब्बी डील्स को अंतिम रूप देने की तैयारी है जिनकी कुल लागत 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होगी. ये डील्स भारत को समुद्री युद्ध में नई ताकत देंगी और क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों का जवाब देने में मदद करेंगी. भारत के आसपास में दुश्मन देशों की लाइन लगी हुई है इसलिए भारत के नौसेना बेड़े में इन पनडुब्बियों के शामिल होने के बाद में भारत की समुन्द्र के अंदर ताकत बढ़ जायेगी.
तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियां
छह स्टील्थ पनडुब्बियां
इसके अलावा इनमे जो दूसरी डील है उसमे छह डीजल-इलेक्ट्रिक स्टील्थ पनडुब्बियां शामिल हैं जिनकी लागत लगभग 65,000 करोड़ रुपये होगी. इस प्रोजेक्ट में जर्मनी की ThyssenKrupp Marine Systems और Mazagon Dock Shipbuilders साथ काम कर रहे हैं. यह 'मेक इन इंडिया' के तहत सबसे बड़े प्रोजेक्ट्स में से एक है जो भारत में ही तकनीक और निर्माण को बढ़ावा देगा.

इन डील्स की जरूरत क्यों?
भारत का लक्ष्य अपनी नौसेना को और सशक्त करना है खासकर समुद्री क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियों के बीच. इन पनडुब्बियों से भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्कॉर्पीन डील की बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है जबकि स्टील्थ पनडुब्बी प्रोजेक्ट की लागत पर अभी चर्चा चल रही है.
कब तक मिलेंगी ये पनडुब्बियां?
इन दोनों प्रोजेक्ट्स की पनडुब्बियां अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के छह साल बाद डिलीवरी के लिए तैयार होंगी. Mazagon Dock को दोनों प्रोजेक्ट्स को एक साथ चलाने के लिए अपनी सुविधाओं का विस्तार करना होगा. भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75 के तहत पहले ही छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बन चुकी हैं और नई डील्स इस दिशा में अगला कदम होंगी. ये डील्स न केवल भारत की नौसैनिक ताकत को बढ़ाएंगी बल्कि 'मेक इन इंडिया' को भी मजबूत करेंगी. विशेषज्ञों का मानना है कि ये कदम क्षेत्रीय सुरक्षा को और पुख्ता करने में अहम भूमिका निभाएंगे.
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