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मक्का की खेती: ज्यादा खाद से नुकसान, जानें सही तरीका
कृषि विशेषज्ञों की सलाह! मक्का की फसल में ज्यादा उर्वरक डालना हो सकता है नुकसानदायक। सही खाद और सही समय से बढ़ाएं उपज।

कृषि विभाग ने मक्का की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी है कि फसल में जरूरत से ज्यादा यूरिया या रासायनिक खाद का उपयोग न करें। विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक खाद डालने से पौधों की बढ़वार असंतुलित हो सकती है। इससे दानों का विकास ठीक नहीं होता और उपज कम हो सकती है। साथ ही, मिट्टी की उर्वरता पर भी बुरा असर पड़ता है।

ज्यादा खाद से खेत में लीचिंग की समस्या हो सकती है, यानी खाद मिट्टी में गहराई तक चली जाती है और पौधों को इसका पूरा फायदा नहीं मिलता। इससे भूजल प्रदूषण का खतरा भी बढ़ता है। इसके अलावा, कीट और रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है, जिससे किसानों की मेहनत और लागत दोनों बर्बाद हो सकती हैं।
कितनी खाद है सही?
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, मक्का की फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 200 किग्रा यूरिया और डीएपी (46% फॉस्फोरस और 18% नाइट्रोजन) का संतुलित उपयोग करें। इससे पौधों को जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं और उपज की गुणवत्ता भी बेहतर रहती है।
नैनो यूरिया का करें इस्तेमाल
किसानों को पारंपरिक यूरिया की जगह नैनो यूरिया का उपयोग करने की सलाह दी गई है। 4-5 मिली नैनो यूरिया को प्रति लीटर पानी में मिलाकर पत्तियों पर छिड़काव करें। इससे यूरिया की खपत 20-30% तक कम हो सकती है। ध्यान दें:
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नैनो यूरिया को कीटनाशक या फफूंदनाशक के साथ न मिलाएं।
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छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, तेज धूप में नहीं।
संतुलित खाद के फायदे
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पौधों की बढ़वार सही होती है और दाने अच्छे से भरते हैं।
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उपज की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बढ़ती है।
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मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
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खेती की लागत कम होती है और मुनाफा बढ़ता है।
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कीट और रोगों का खतरा कम होता है।
किसानों के लिए सुझाव
कृषि विभाग का कहना है कि सही समय पर और अनुशंसित मात्रा में खाद का उपयोग करें। इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में इजाफा होगा। ज्यादा जानकारी के लिए नजदीकी कृषि केंद्र या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।
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