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शेयर बाजार में हलचल: SEBI ने बदले MPS और MPO के नियम, जानिए क्या होगा असर
सेबी के नए नियमों से शेयर बाजार में लिस्टिंग आसान होगी, MPO और MPS में छूट मिलेगी। रिटेल कोटा 35% पर बरकरार, निवेशकों को बड़ी कंपनियों में निवेश का मौका। लेकिन जोखिमों पर भी ध्यान जरूरी।

भारतीय शेयर बाजार में जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने कंपनियों के लिए शेयर बाजार में लिस्टिंग के नियमों को आसान करने का प्रस्ताव रखा है। इन नए नियमों से न सिर्फ कंपनियों को फंड जुटाने में आसानी होगी, बल्कि आम निवेशकों को भी बड़ी कंपनियों में निवेश करने का बेहतर मौका मिल सकता है। लेकिन क्या ये बदलाव वाकई फायदेमंद होंगे, या इनसे नए जोखिम भी पैदा होंगे? आइए, इस खबर को आसान भाषा में समझते हैं।

क्या हैं सेबी के नए प्रस्ताव?
सेबी ने हाल ही में एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया, जिसमें बड़े बदलावों का जिक्र है। इन प्रस्तावों का मकसद कंपनियों के लिए शेयर बाजार में लिस्टिंग को आसान बनाना और निवेशकों को ज्यादा मौके देना है। मुख्य बदलाव इस प्रकार हैं:
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मिनिमम पब्लिक ऑफरिंग (MPO) में कमी:
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50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपये की मार्केट वैल्यू वाली कंपनियों के लिए MPO को 10% से घटाकर 8% करने का प्रस्ताव है।
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1 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ रुपये की वैल्यू वाली कंपनियों के लिए MPS को 6,250 करोड़ रुपये और 2.75% शेयर पूंजी तक सीमित किया जाएगा, जो अभी 5% है।
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5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा वैल्यू वाली कंपनियों के लिए कम से कम 15,000 करोड़ रुपये और 1% शेयर पूंजी की पेशकश होगी, जिसमें न्यूनतम 2.5% हिस्सेदारी होगी।
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MPS पूरा करने की समय सीमा में ढील:
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50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपये की कंपनियों को 25% मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) हासिल करने के लिए 3 साल की बजाय 5 साल का समय मिलेगा।
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1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा वैल्यू वाली कंपनियों को अगर लिस्टिंग के समय 15% से कम पब्लिक शेयरहोल्डिंग है, तो 5 साल में 15% और 10 साल में 25% करना होगा। अगर यह 15% से ज्यादा है, तो 5 साल में 25% MPS हासिल करना होगा।
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रिटेल कोटा में कोई बदलाव नहीं:
सेबी ने पहले रिटेल निवेशकों के लिए 35% कोटा घटाकर 25% करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब इसे 35% पर ही रखने का फैसला किया गया है। इससे छोटे निवेशकों को बड़ी लिस्टिंग में हिस्सा लेने का मौका बना रहेगा।
इन बदलावों का क्या मतलब है?
सेबी का कहना है कि ये नए नियम कंपनियों को पूंजी जुटाने में मदद करेंगे और शेयर बाजार को और मजबूत बनाएंगे। आसान नियमों से बड़ी कंपनियां आसानी से फंड जुटा सकेंगी, जिससे उनके बिजनेस को बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही, निवेशकों को भी नई और बड़ी कंपनियों में निवेश का मौका मिलेगा।
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लेकिन कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। क्या ये नियम छोटे निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ा सकते हैं? अगर कंपनियों को MPS हासिल करने में ज्यादा समय मिलेगा, तो क्या इससे पारदर्शिता पर असर पड़ेगा? विशेषज्ञों का कहना है कि सेबी को इन नियमों को लागू करने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करना होगा।
आम निवेशक के लिए क्या है खास?
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अधिक मौके: रिटेल कोटा 35% पर बरकरार रहने से छोटे निवेशकों को IPO में हिस्सा लेने का पूरा मौका मिलेगा।
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बड़ी कंपनियों में निवेश: आसान नियमों से ज्यादा बड़ी कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट हो सकती हैं, जिससे निवेश के नए विकल्प खुलेंगे।
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जोखिम का ध्यान: निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी IPO में निवेश से पहले कंपनी की पूरी जानकारी लें और जोखिम का आकलन करें।
सेबी ने इन प्रस्तावों पर जनता और विशेषज्ञों से राय मांगी है। अगर ये नियम लागू होते हैं तो शेयर बाजार में नई हलचल देखने को मिल सकती है। निवेशकों को सलाह है कि वे इन बदलावों पर नजर रखें और अपने निवेश के फैसले सोच-समझकर लें।
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भारत कृषि प्रधान देश है और किसान देश की आत्मा है। किसानों के लिए जब कुछ किया जाता है तो मन को सुकून मिलता है। टेक्सटाइल विषय से स्नातक करने के बाद अपने लिखने के शौख को आगे बढ़ाया और किसानों के लिए कलम उठाई। रोजाना किसानों से जुडी ख़बरें और बिज़नेस से जुडी ख़बरों को लिखकर आप तक पहुंचाने का सिलसिला आगे भी ऐसे ही जारी रहने वाला है।