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इस नई योजना से किसानों की बल्ले बल्ले: डेयरी फार्म खोलने पर मिलेगा 42 लाख का लोन
डेयरी फार्म खोलने वाले किसान भाइयों और पशुपालकों के लिए सरकार ने अपनी दो योजनाओं के तहत लाखों में सब्सिडी देने का पूरा मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। इन दोनों योजनाओं के तहत पशुपालकों को डेयरी फार्म करने पर 42 लाख रूपये तक का अनुदान सरकार देने जा रही है।

सरकार किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए नए-नए कदम उठा रही है। प्रदेश में पशुपालन को न सिर्फ फायदेमंद बनाया जा रहा है बल्कि इसे एक आधुनिक और टिकाऊ व्यवसाय के रूप में स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए सरकार दो बड़े हथियारों—डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना और इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (IFS)—का सहारा ले रही है। ये योजनाएं न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत कर रही हैं बल्कि गांवों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही हैं। मतलब साफ़ है की सरकार चाहती है की पशुपालकों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके और उनकी आमदनी को बढ़ाया जा सके।

कामधेनु योजना: डेयरी फार्मिंग का सुनहरा मौका
डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के तहत मध्यप्रदेश सरकार पशुपालकों को डेयरी फार्म शुरू करने के लिए 36 से 42 लाख रुपये तक का लोन और 25 से 33 प्रतिशत तक की सब्सिडी दे रही है। यह योजना पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग द्वारा संचालित की जा रही है। अगर आप गांव में रहते हैं और खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी का रास्ता तलाश रहे हैं तो यह आपके लिए एक शानदार अवसर हो सकता है।
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इस योजना में आवेदन के लिए आपके पास कम से कम 3.5 एकड़ जमीन होनी चाहिए। आवेदन ऑनलाइन या नजदीकी विभागीय कार्यालय में जाकर किया जा सकता है। उपसंचालक डॉ. एन. के. शुक्ला ने बताया कि इस साल 22 किसानों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य है। यह योजना न सिर्फ डेयरी उद्योग को संगठित कर रही है बल्कि पशुपालकों की आय में भी जबरदस्त इजाफा कर रही है।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम: कम लागत, ज्यादा मुनाफा
कामधेनु योजना के साथ-साथ सरकार इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (IFS) को भी बढ़ावा दे रही है। इस सिस्टम में बकरियों और मुर्गियों को एक साथ पाला जाता है, जिससे कम लागत में अंडे, देसी चिकन और दूध जैसे उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं। यह तरीका पशुपालकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है।
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केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG) मथुरा के वैज्ञानिकों का कहना है कि IFS में बकरियों का बचा हुआ चारा मुर्गियां खा लेती हैं जिससे चारे की लागत कम हो जाती है। इसके अलावा बकरियों की मेंगनी से उगाया गया चारा पूरी तरह ऑर्गेनिक होता है। इससे बकरियों का दूध और मांस भी ऑर्गेनिक रहता है जो बाजार में ज्यादा कीमत पर बिकता है। खास बात यह है कि ऑर्गेनिक मांस के निर्यात में भी कोई दिक्कत नहीं आती जिससे पशुपालकों को अतिरिक्त मुनाफा होता है।
कैसे काम करता है IFS?
IFS के तहत एक खास तरह का शेड बनाया जाता है जिसमें लोहे की जाली से बकरियों और मुर्गियों के लिए अलग-अलग हिस्से तैयार किए जाते हैं। सुबह जब बकरियों को चरने के लिए बाहर ले जाया जाता है तो उनकी जगह मुर्गियां उस हिस्से में आ जाती हैं। इस तरह एक ही जगह का इस्तेमाल दोनों के लिए हो जाता है जिससे जगह और लागत दोनों की बचत होती है।
मध्यप्रदेश सरकार की ये योजनाएं न सिर्फ पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दे रही हैं। चाहे आप डेयरी फार्म शुरू करना चाहें या इंटीग्रेटेड फार्मिंग के जरिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहें ये योजनाएं आपके लिए एक नया रास्ता खोल सकती हैं। अगर आप इस अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं तो तुरंत अपने नजदीकी पशु चिकित्सा विभाग से संपर्क करें या ऑनलाइन आवेदन करें। मध्यप्रदेश के किसान अब सिर्फ खेती तक सीमित नहीं हैं बल्कि वे नए तरीकों से अपनी आय को दोगुना करने की राह पर हैं!
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भारत कृषि प्रधान देश है और किसान देश की आत्मा है। किसानों के लिए जब कुछ किया जाता है तो मन को सुकून मिलता है। टेक्सटाइल विषय से स्नातक करने के बाद अपने लिखने के शौख को आगे बढ़ाया और किसानों के लिए कलम उठाई। रोजाना किसानों से जुडी ख़बरें और बिज़नेस से जुडी ख़बरों को लिखकर आप तक पहुंचाने का सिलसिला आगे भी ऐसे ही जारी रहने वाला है।