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सोयाबीन की पैदावार बढ़ाने के आसान उपाय, जानें राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की साप्ताहिक गाइडलाइन
सूखे में ड्रिप सिंचाई, चूहों के लिए फ्लोकोउमाफेन, माइट्स के लिए इथिओन, सफेद सुंडी के लिए प्रकाश प्रपंच, फफूंद रोगों हेतु फ्लुक्सापायरोक्साड का छिड़काव करें। जलभराव से बचाव, जैविक खेती के लिए बेसिलस का उपयोग। खेत की निगरानी जरूरी।

राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने 18 से 24 अगस्त 2025 के लिए सोयाबीन किसानों के लिए साप्ताहिक सलाह जारी की है। इस सलाह में किसानों को फसल की पैदावार बढ़ाने और कीट-रोगों से बचाव के लिए आसान और प्रभावी उपाय बताए गए हैं। सूखा, जलभराव और कीटों की चुनौतियों से निपटने के लिए यह सलाह खासतौर पर तैयार की गई है। आइए जानते हैं प्रमुख सुझाव:
सूखे से फसल को बचाएं
सूखे की स्थिति में खेत में दरारें पड़ने से पहले सिंचाई जरूरी है। इसके लिए ड्रिप, स्प्रिंकलर, या रिज-फरो विधि का उपयोग करें। नमी बनाए रखने के लिए खेत में भूसा या खरपतवार की पलवार बिछाएं। इससे पानी की बचत होगी और फसल स्वस्थ रहेगी।

कीटों और रोगों से निपटने के उपाय
चूहों का प्रबंधन
जून के दूसरे या तीसरे सप्ताह में बोई गई कम अवधि की सोयाबीन फसल में चूहों से फलियों को नुकसान हो सकता है। इसके लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005% रसायन से बने 15-20 बेट प्रति हेक्टेयर चूहों के बिलों के पास रखें।
माइट्स से बचाव
सूखे के कारण माइट्स का खतरा बढ़ सकता है। इसके लिए इथिओन 50 EC (फॉस्माइट) को 1500 मिली/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
सफेद सुंडी का प्रकोप
लंबे समय तक बारिश न होने से सफेद सुंडी का खतरा हो सकता है। इसके लिए खेत में प्रकाश प्रपंच लगाएं और वयस्क सुंडियों को नष्ट करें। साथ ही, बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
फफूंदजनित रोग
50-60 दिन की फसल में फफूंद रोगों से बचाव के लिए फ्लुक्सापायरोक्साड + पायरोक्लोस्ट्रोबीन (300 ग्राम/हेक्टेयर) का सुरक्षात्मक छिड़काव करें। छिड़काव के लिए नेप्सैक स्प्रेयर से 500 लीटर पानी या ट्रैक्टर चालित स्प्रेयर से कम से कम 200 लीटर पानी का उपयोग करें।
एन्थ्राक्नोज रोग
इसके शुरुआती लक्षण दिखते ही टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हेक्टेयर) या कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोजेब 63% डब्ल्यू.पी. (1.25 किग्रा/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट
इसके लक्षण दिखने पर फ्लुक्सापायरोक्साड + पायरोक्लोस्ट्रोबीन (300 ग्राम/हेक्टेयर) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20% WG (375-500 ग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
पीला मोज़ेक रोग
इसके शुरुआती लक्षण दिखने पर रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट करें। सफेद मक्खी, जो इस रोग को फैलाती है, के नियंत्रण के लिए फ्लोनीकेमिड 50% WG (200 ग्राम/हेक्टेयर) या थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) का छिड़काव करें। खेत में पीले स्टिकी ट्रैप भी लगाएं।
तम्बाकू और सेमीलूपर इल्ली
इनके नियंत्रण के लिए क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हेक्टेयर) या इमामेक्टिन बेंजोएट 1.9 (425 मिली/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
बिहार हेयरी कैटरपिलर
इसकी शुरुआती अवस्था में झुंड में रहने वाली इल्लियों को पौधों सहित नष्ट करें। साथ ही, फ्लूबेंडियामाइड 20 WG (250-300 ग्राम/हेक्टेयर) का छिड़काव करें।
तना मक्खी और चक्र भृंग
तना मक्खी के लिए थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हेक्टेयर) और चक्र भृंग के लिए थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 मिली/हेक्टेयर) का छिड़काव करें। प्रभावित पौधों के हिस्सों को तोड़कर नष्ट करें।
जलभराव से बचाव
जलभराव से फसल को बचाने के लिए खेत में अतिरिक्त पानी की निकासी की व्यवस्था करें।
बीज उत्पादन के लिए सावधानी
बीज उत्पादन वाले खेतों में फूलों के रंग और पौधों पर रोएं के आधार पर भिन्न किस्मों को हटाएं, ताकि शुद्धता बनी रहे।
जैविक खेती के लिए सलाह
जैविक सोयाबीन उत्पादन करने वाले किसान पत्ती खाने वाली इल्लियों से बचाव के लिए बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस या ब्युवेरिया बेसिआना (1 लीटर/हेक्टेयर) का उपयोग करें।
सामान्य सुझाव
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खेत की नियमित निगरानी करें। 3-4 जगहों पर पौधों को हिलाकर कीटों की जांच करें।
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कीटनाशकों और फफूंदनाशकों के छिड़काव में पर्याप्त पानी (450 लीटर/हेक्टेयर नेप्सैक स्प्रेयर या 125 लीटर/हेक्टेयर पावर स्प्रेयर) का उपयोग करें।
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केवल केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा अनुशंसित रसायनों का उपयोग करें।
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रसायन खरीदते समय बैच नंबर और एक्सपायरी डेट वाला पक्का बिल लें।
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बिना वैज्ञानिक अनुशंसा के रसायनों का मिश्रण न करें।
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पक्षियों को आकर्षित करने के लिए खेत में “T” आकार के बर्ड-पर्चेस लगाएं।
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फेरोमोन ट्रैप और प्रकाश प्रपंच का उपयोग तम्बाकू और चने की इल्लियों के प्रबंधन के लिए करें।
इन आसान उपायों को अपनाकर किसान अपनी सोयाबीन फसल को स्वस्थ रख सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें।
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भारत कृषि प्रधान देश है और किसान देश की आत्मा है। किसानों के लिए जब कुछ किया जाता है तो मन को सुकून मिलता है। टेक्सटाइल विषय से स्नातक करने के बाद अपने लिखने के शौख को आगे बढ़ाया और किसानों के लिए कलम उठाई। रोजाना किसानों से जुडी ख़बरें और बिज़नेस से जुडी ख़बरों को लिखकर आप तक पहुंचाने का सिलसिला आगे भी ऐसे ही जारी रहने वाला है।