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मुफ्त राशन योजना में बड़ा खुलासा: 1.17 करोड़ अपात्र लाभार्थी चिह्नित, 30 सितंबर तक हटेंगे राशन कार्ड
केंद्र सरकार ने मुफ्त खाद्यान्न योजना में 1.17 करोड़ अपात्र राशन कार्ड धारकों की पहचान की। टैक्सपेयर्स, फोर-व्हीलर मालिक, कंपनी निदेशकों को हटाने के लिए 30 सितंबर तक सत्यापन। जरूरतमंदों को लाभ सुनिश्चित करने के लिए डेटाबेस शुद्धिकरण।

केंद्र सरकार ने मुफ्त खाद्यान्न योजना में बड़ी सफाई शुरू कर दी है। पहली बार उन राशन कार्ड धारकों की पहचान की गई है जो इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र नहीं हैं। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने आयकर विभाग, सड़क परिवहन मंत्रालय और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय जैसे सरकारी डेटाबेस के साथ मिलान कर 1.17 करोड़ अपात्र राशन कार्ड धारकों की सूची तैयार की है।
जांच में सामने आया कि 94.71 लाख राशन कार्ड धारक टैक्स देते हैं, 17.51 लाख के पास फोर-व्हीलर गाड़ियां हैं और 5.31 लाख लोग कंपनी निदेशक हैं। ये सभी लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के नियमों के तहत मुफ्त राशन के हकदार नहीं हैं। नियम कहता है कि सरकारी कर्मचारी, सालाना 1 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले परिवार, फोर-व्हीलर मालिक और टैक्सपेयर्स इस योजना का लाभ नहीं ले सकते। लेकिन ग्राउंड लेवल की सच्चाई कुछ और ही कहानी कह रही है जिसका अब खुलासा हुआ है।

केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे 30 सितंबर तक जमीनी स्तर पर सत्यापन कर इन अपात्र राशन कार्ड धारकों को सूची से हटाएं। इसके लिए अपात्र लोगों की लिस्ट स्थानीय प्रखंड मुख्यालयों को भेज दी गई है। कोई भी व्यक्ति वहां जाकर अपनी स्थिति की जांच कर सकता है। खाद्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि वास्तविक जरूरतमंदों को योजना का लाभ मिल सके।
खाद्य सचिव संजीव चौपड़ा ने कहा, "हमारा मकसद है कि मुफ्त राशन सही और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे। डेटाबेस को शुद्ध करने से पारदर्शिता बढ़ेगी और उन परिवारों को फायदा होगा जो वाकई में वंचित हैं।" उन्होंने बताया कि सितंबर के अंत तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत देशभर में अब तक 19.17 करोड़ राशन कार्ड जारी किए गए हैं, जिनके जरिए 76.10 करोड़ लोग मुफ्त खाद्यान्न का लाभ ले रहे हैं। अब अपात्र लोगों को हटाकर प्रतीक्षा सूची में शामिल जरूरतमंदों को मौका दिया जाएगा।
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न्यूज़ लिखना इतना आसान भी नहीं है जितना उनको पढ़ना होता है। हर खबर की गहराई में जाकर एक निचोड़ निकलना और सटीकता के साथ आप तक पहुंचाने का काम पिछले 8 सालों से कर रहा हूँ। कृषि से स्नातक करने के बाद से ही कृषि विषय पर आर्टिकल लिखने शुरू किये थे लेकिन समय पंख लगाकर कब तेजी से निकला और कब 8 साल बीत गए इसका भान ही नहीं हुआ। आगे भी समय के साथ पंख लगाकार आके लिए ऐसे ही आर्टिकल लिखते रहेंगे।