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बुआना लाखू सरपंच चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश, मोहित कुमार बने विजेता
बुआना लाखू में EVM गिनती में गड़बड़ी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मोहित कुमार को 51 वोटों से सरपंच घोषित किया। 7 अगस्त को कोर्ट की निगरानी में दोबारा गिनती हुई। मोहित गुरुवार को शपथ लेंगे। EVM पर सवाल, पारदर्शिता की जीत।

पानीपत, हरियाणा: हरियाणा के पानीपत जिले के बुआना लाखू गांव में 2022 में हुए सरपंच चुनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों की दोबारा गिनती कराई, जिसके बाद चुनाव का परिणाम पूरी तरह बदल गया। इस गिनती में मोहित कुमार को 51 वोटों के अंतर से विजेता घोषित किया गया।
क्या था विवाद?
2 नवंबर 2022 को हुए ग्राम पंचायत चुनाव में बुआना लाखू गांव के सरपंच पद के लिए सात उम्मीदवार मैदान में थे। मुख्य मुकाबला मोहित कुमार और कुलदीप सिंह के बीच था। शुरुआती नतीजों में कुलदीप सिंह को विजेता घोषित किया गया और उन्हें जीत का प्रमाणपत्र भी दे दिया गया। लेकिन, मोहित कुमार ने मतगणना में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए इसे चुनौती दी।

जांच में पता चला कि बूथ नंबर 69 पर मतगणना के दौरान गलती हुई थी। मोहित के वोट कुलदीप के खाते में और कुलदीप के वोट मोहित के खाते में गलती से जोड़ दिए गए। इस त्रुटि को सुधारने के लिए उसी दिन दोबारा गिनती हुई, जिसमें मोहित को विजेता घोषित किया गया। हालांकि, कुलदीप सिंह ने हार मानने से इनकार कर दिया और मामला अदालत में चला गया।
हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई
कुलदीप सिंह ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में अपील की, जहां जून 2025 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया गया और दोबारा गिनती से इनकार कर दिया गया। लेकिन मोहित कुमार ने हार नहीं मानी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और 31 जुलाई 2025 को सभी EVM और रिकॉर्ड्स को दिल्ली मंगवाकर कोर्ट परिसर में ही वोटों की दोबारा गिनती का आदेश दिया।
7 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई इस गिनती में पूरी पारदर्शिता बरती गई। प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई और दोनों पक्षों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। नतीजे चौंकाने वाले थे—मोहित कुमार को 1,051 वोट मिले, जबकि कुलदीप सिंह को 1,000 वोट। इस तरह मोहित 51 वोटों से विजेता बन गए।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने मोहित कुमार को बुआना लाखू का सरपंच घोषित किया और जिला प्रशासन को दो दिन के भीतर उन्हें शपथ दिलाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि रजिस्ट्रार की रिपोर्ट पर संदेह का कोई कारण नहीं है, क्योंकि गिनती पूरी तरह पारदर्शी थी।
मोहित कुमार ने इस जीत को अपनी मेहनत और न्याय पर विश्वास का नतीजा बताया। उन्होंने कहा, “मैंने जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ी। कई लोगों ने मुझे हार मानने की सलाह दी, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। आज सच सामने आ गया और मुझे न्याय मिला।”
गांव वालों की प्रतिक्रिया
बुआना लाखू गांव में इस फैसले का मिला-जुला असर देखने को मिला। कुछ ग्रामीणों ने इसे न्याय की जीत बताया, तो कुछ का मानना है कि यह मामला अब और तूल नहीं पकड़ना चाहिए। गांव के एक पूर्व शिक्षक वेद वशिष्ठ ने कहा, “यह फैसला दिखाता है कि अगर आप हिम्मत और मेहनत से लड़ें, तो सच सामने आ ही जाता है।” वहीं, कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि यह गलती मानवीय भूल थी, जिसे अब सुधार लिया गया है।
EVM पर सवाल
यह मामला भारतीय चुनावी प्रक्रिया में EVM की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गड़बड़ी को मानवीय त्रुटि माना, लेकिन इसने पारदर्शिता और निष्पक्षता की जरूरत को एक बार फिर रेखांकित किया है। यह पहला मौका था जब सुप्रीम कोर्ट ने खुद अपनी निगरानी में EVM की दोबारा गिनती कराई, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा।
मोहित कुमार गुरुवार को इसराना बीडीओ कार्यालय में सरपंच पद की शपथ लेंगे। यह जीत न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो न्याय के लिए लड़ते हैं।
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न्यूज़ लिखना इतना आसान भी नहीं है जितना उनको पढ़ना होता है। हर खबर की गहराई में जाकर एक निचोड़ निकलना और सटीकता के साथ आप तक पहुंचाने का काम पिछले 8 सालों से कर रहा हूँ। कृषि से स्नातक करने के बाद से ही कृषि विषय पर आर्टिकल लिखने शुरू किये थे लेकिन समय पंख लगाकर कब तेजी से निकला और कब 8 साल बीत गए इसका भान ही नहीं हुआ। आगे भी समय के साथ पंख लगाकार आके लिए ऐसे ही आर्टिकल लिखते रहेंगे।