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खेतो में बढ़ानी है उर्वरक क्षमता तो घर पर बनाये ये खाद, मिलेगी भरपूर उपजाऊ क्षमता
खेतो में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक खादों एवं अप्राकृतिक तरीके से हो रही खेती के कारण दिन प्रतिदिन जमीन की उपजाऊ क्षमता कम होती है। लेकिन जमीन की उपजाऊ क्षमता को दोबारा से बढ़ाया जा सकता है।

देश में लगातार खेतो की उपजाऊ क्षमता में कमी होना किसानो के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। इससे उत्पादन क्षमता कम होने के साथ साथ धीरे धीरे जमीन बंजर होने का खतरा भी बढ़ रहा है। ऐसे समय में देश में किसानो को लगातार आर्गेनिक खेती की के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कृषि संस्थानों की तरफ से प्रयास किये जा रहे है। बहुत से ऐसे क्षेत्र है देश में जहा पर पहले काफी अच्छा फसल उत्पादन होता था।

लेकिन धीरे धीरे इन क्षेत्रों में बंजर भूमि की अधिकता बढ़ रही है। हालाँकि स्थिति में सुधार समय के अनुसार अगर करते है तो ये समस्या स्थाई नहीं होती है। इसके लिए कई ऐसे उपाय किये जा सकते है। जिससे जमीन की उपजाऊ क्षमता को दोबारा से बढ़ाया जा सकता है। इसमें के तकनीक जीवामृत भी होती है। जिसके प्रयोग से खेतो में धीरे धीरे उपजाऊ क्षमता वापस आने लगती है। आइये जानते है क्या है ये तकनीक और कैसे किसान भाई अपने खेतो में इस जीवामृत की मदद से उपजाऊ क्षमता को बढ़ा सकते है।
जीवामृत से बढ़ा सकते है खेतो में उपजाऊ क्षमता
जमीन रासायनिक उर्वरको के अधिक उपयोग के कारण धीरे धीरे अपनी उपजाऊ क्षमता को खो रही है। और ये प्रक्रिया इतनी धीमी होती है की किसानो को काफी सालो के बाद पता चलता है की जमीन अपनी उपजाऊ क्षमता खो चुकी है। फसल उत्पादन धीरे धीरे कम होता जाता है और एक दिन जमीन बंजर हो जाती है। लेकिन इससे बचा जा सकता है। आर्गेनिक खेती को अपनाने के साथ साथ जीवामृत तकनीक का उपयोग करना काफी फायदेमंद होगा।
जीवामृत एक जैविक खाद होता है। जिसको प्राकृतिक तत्वों से मिलाकर बना सकते है। इसको घर पर ही कोई भी किसान बना सकता है। इसमें गोबर, गुड़, गोमूत्र, बेसन जैसे प्राकृतिक तत्व शामिल होते है। जो एक प्राकृतिक रूप से खाद का काम करता है। इससे जमीन की उपजाऊ क्षमता रिकवर होने के साथ साथ जमीन के पानी ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ती है। खेतो में जो लाभकारी बैक्टरिया होते है उनकी क्षमता भी बढ़ने लगती है । ये कोई साधारण खाद नहीं है। बल्कि एक सुपर खाद है।
कैसे बना सकते है जीवामृत खाद
इस खाद को बनाने के लिए आपको करीब 20 किलोग्राम देशी गाय का गोबर लेना है। आप खेत के हिसाब से इसको कम अधिक कर सकते है। इसमें 10 लीटर गाय का मूत्र और 1 से 2 किलोग्राम गुड़ और साथ में 1 से 2 किलो बेसन शामिल करना है। ये मात्रा खेतो के लिए तैयार खाद के हिसाब से कम अधिक आप कर सकते है। इसके बाद आपको इसमें जंगल में पुराने पेड़ो की मिटटी करीब एक किलो मिलानी है और फिर इसको 200 लीटर के करीब पानी में इसको एक साफ ड्रम में भरना है। जो भी पूरा मिश्रण है वो इस ड्रम में रखना है और छायादार और खुले स्थान पर रखना है।
इसको 3 से 4 दिनों तक अच्छे से मिक्स करना है। यानि की घोल बनाना है अच्छा, रोजाना इसको लकड़ी से मिक्स करते रहना है। और फिर आपका जीवामृत घोल तैयार हो जाता है। जो की आपके खेत की उपजाऊ क्षमता को वापिस करने के लिए तैयार है।
कैसे करने है इसका उपयोग
इसको खेतो में आपको स्प्रे विधि से उपयोग करना होगा। आप चाहे तो खेतो में सिंचाई के दौरान इसका छिड़काव कर सकते है। 1 लीटर जीवामृत को करीब 5 लीटर पानी में मिलाना है और इसका छिड़काव फसलों पर करना है। और ड्रम में जो निचे बचा हुआ पदार्थ है वो खेतो में ही डाल देना है। सिंचाई के समय इसका उपयोग करने से जल्दी असर दिखता है।
जीवामृत के छिड़काव से क्या फायदे होंगे
ये देशी उर्वरक खेतो में फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ साथ जमीन की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाता है। इसके साथ ये जमीन की जल धारण करने की शक्ति को भी बढ़ाता है। खेतो में मौजूद जीवाणु, केंचुआ, राइजोबियम आदि मित्र जीवों की तेजी एक साथ बढ़ोतरी होती है। और जमीन में पौष्टिक तत्वों की धीरे धीरे पूर्ति होने लगती है। जिससे जमीन फिर से उपजाऊ होने लगती है। हालाँकि ये सस्ता और घरेलु उपाय है तो कोई भी किसान आसानी से इसको बनाकर उपयोग कर सकता है। जमीन की उपजाऊ क्षमता में जबरदस्त इजाफा इसके प्रयोग से देखने को मिलता है।
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