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बिहार में वोटर लिस्ट पर हंगामा, 28,370 दावे-आपत्तियां मिलीं, लेकिन राजनीतिक दल खामोश
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर 28,370 दावे-आपत्तियां, 857 निपटाए गए। कोई राजनीतिक दल नहीं आया आगे। सुप्रीम कोर्ट ने 65 लाख हटाए गए वोटरों के नाम और कारण ऑनलाइन प्रकाशित करने को कहा। पारदर्शिता जरूरी।

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत तैयार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावे और आपत्तियां मांगने का सिलसिला जारी है। 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित इस सूची पर अब तक 28,370 दावे और आपत्तियां मिली हैं, जिनमें से 857 का निपटारा हो चुका है। हैरानी की बात ये है कि किसी भी राजनीतिक दल ने अब तक कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।

चुनाव आयोग के मुताबिक, 18 साल या उससे ज्यादा उम्र के नए मतदाताओं से 1,03,703 फॉर्म मिले हैं, जिनमें 6 फॉर्म बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के जरिए आए हैं। नियमों के तहत, इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) या असिस्टेंट इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (एईआरओ) को पात्र दस्तावेजों की जांच के बाद 7 दिनों में दावे-आपत्तियों का निपटारा करना होगा। आयोग ने साफ किया है कि ड्राफ्ट लिस्ट से किसी का नाम बिना जांच और उचित प्रक्रिया के नहीं हटाया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार, प्रचार का आदेश
एसआईआर प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला गर्म है। कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वोटर लिस्ट से हटाए गए 65 लाख लोगों के नाम और उनके हटाए जाने के कारण जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित किए जाएं। साथ ही, इसकी जानकारी अखबारों, रेडियो, टीवी और सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचाने को कहा गया है।
वोटर लिस्ट पर क्यों हो रहा है बवाल?
पिछले महीने बीएलओ ने घर-घर जाकर वोटर लिस्ट का सत्यापन किया था, जिसके बाद 1 अगस्त को ड्राफ्ट लिस्ट जारी हुई। इसके लिए आयोग ने दावे-आपत्तियां दर्ज करने के लिए एक महीने का समय दिया है। इसके बाद फाइनल वोटर लिस्ट तैयार होगी। लेकिन इस प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर तब जब सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिकाएं दायर हुई हैं।
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और सटीक वोटर लिस्ट तैयार करना आयोग के लिए बड़ी चुनौती है। लोगों का कहना है कि पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ इस प्रक्रिया को पूरा करना जरूरी है, ताकि कोई भी पात्र मतदाता वोट देने से वंचित न रहे।
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